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मुआवजे के मकान... जहां से कोयला खदान शुरू होनी है, वहां बना दिए 100 घर और हजारों शेड


रायगढ़ के रोड़ापाली गांव में जमीन पर धान की जगह अचानक शेड और मकान की खेती शुरू हो गई है। दैनिक भास्कर की टीम ने इस बारे में पता किया तो चौंकाने वाली बात सामने आई। गांव की 80% जमीन महाराष्ट्र पॉवर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड-2 (महाजेनको) को 10 साल पहले कोयला खदान के लिए आवंटित कर दी गई थी। लेकिन पर्यावरण स्वीकृति न मिलने से कंपनी को जमीन सौंपी न जा सकी। 2024 में मंजूरी मिलते ही सर्वे की खबर जैसे ही गांववालों को लगी, तो उन्होंने मोटा मुआवजा पाने के लिए निर्माण शुरू कर दिए। नियमानुसार खाली जमीन पर 25-30 लाख रुपए प्रति एकड़ ही मुआवजा मिलता। लेकिन अगर एक एकड़ में शेड लगे हों, तो 3 करोड़ रुपए और मकान बने हों तो 5 करोड़ रुपए तक मुआवजा अधिक मिल सकता है। यही वजह है कि गांव वालों ने मुआवजा लेने के लिए चार-चार फीट ऊंचे शेड लगवा दिए हैं। वहीं, मकान काली मिट्टी की ईंट से बनवाए गए हैं, जिसमें न दरवाजे-खिड़की हैं और न सीढ़ी। बता दें कि शेड होने पर जमीन के मुआवजे के अलावा 700 रुपए वर्ग फीट अतिरिक्त राशि दी जाती है। जबकि शेड बनाने में 80 रुपए वर्ग फीट का खर्चा आता है। वहीं, मकान पर 1200 रुपए वर्ग फीट मुआवजा मिलता है। जबकि ऐसे निर्माण 500 रुपए वर्ग फीट में हो जाते हैं।

 ग्रामीण बोले- जमीन कंपनी लेने वाली है

भास्कर टीम जब रोड़ापाली गांव पहुंची तो सन्नाटा था। गांव की शुरुआत में हर 100 मीटर पर शेड बनते दिखें। गांव खत्म होते ही करीब आधा किमी तक रोड के किनारे काली मिट्टी की ईंट के 100 से अधिक मकान मिले। इन मकानों में खिड़‌की दरवाजा नहीं था और न छत पर जाने के लिए कोई सोढ़ी थी। एक मकान में काम कर रहे मजदूर ने बताया कि कुछ दिनों बाद इन्हें टूटना ही है इसलिए ढांचा तैयार कर रहे हैं। पहला तल करीब 9 फीट ऊंचा, दूसरा तल 7 फीट ऊंचा है। शेड बना रहे बुद्धराम राठिया से भास्कर ने बातचीत की....

रिपोर्टरः ये शेड किस लिए बन रहे हैं?

राठियाः खदान के लिए यह जमीन आवंटित हो गई है। ये सब उसमें चला जाएगा।

रिपोर्टरः गांव के बाहर बिना दरवाजे के मकान किसलिए?

राठियाः यह सब मुआवजे के लिए बनाए जा रहे हैं। अगले साल सब कंपनी में चले जाएंगे।

रिपोर्टरः कंपनी ने जमीन ले ली है..? 

राठियाः नहीं, अंभी नहीं। लेकिन हमें पता है कि यह जमीन कंपनी में जाने वाली है।

रिपोर्टरः निर्माण कराने वाले लोग गांव के ही हैं या गांव से बाहर के भी?

राठियाः गांव के भी हैं और बाहर के भी। कुछ लोगों ने आकर सस्ते दामों में पहले ही जमीन खरीद ली है। दोनों तरह के लोग निर्माण करवा रहे हैं।

रिपोर्टरः ये किसके निर्माण हो रहे हैं?

राठियाः सब पंडा परिवार का है। ये गांव के ही रहने वाले हैं। उनकी यहां बड़ी जमीन है। अभी उन्हें रेलवे से मुआवजा मिला है। उसी के पैसे से इसका निर्माण करवा रहे हैं।


महाजेनको को 15 गांव की जमीनें आवंटित की गई हैं। एक एक कर गांवों की अधिसूचना प्रकाशित की जाएगी। अभी तहसीलदार को सर्वे के लिए आदेशित किया गया है। रोड़ापाली में अगर शेड-मकान बनाए जा रहे हैं, तो उन्हें मुआवजा देने से पहले जांच करेंगे। हम भी नजर रखे हुए हैं।

- रमेश मोर, एसडीएम, घरघोड़ा

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