25 लाख तक के इनामी शामिल - शांति की राह पर लौटे जंगल के बागी
सुकमा । छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता मिली है। सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर पीएलजीए और अन्य नक्सली संगठनों से जुड़े 16 सक्रिय नक्सलियों ने पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। इनमें से दो कुख्यात नक्सली 8-8 लाख रुपये के इनामी हैं, जबकि अन्य पर भी लाखों के इनाम घोषित थे। इस आत्मसमर्पण कार्यक्रम में बस्तर रेंज के एसपी किरण चव्हाण, एएसपी उमेश गुप्ता, सीआरपीएफ और जिला पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने बताया कि सभी आत्मसमर्पित नक्सली अब छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति - 2025 के तहत पुनर्वास लाभ प्राप्त करेंगे। प्रत्येक को 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि और सरकार द्वारा दी जाने वाली अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इन 16 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण:1. रीता उफऱ् जोड़ी सुक्की (36 वर्ष) – इनामी 8 लाख, सीआरएस कंपनी सदस्य 2. राहुल जुमने (18 वर्ष) – इनामी 8 लाख, पीएलजीए बटालियन सदस्य 3. लेकाम लखमा (28 वर्ष) – इनामी 3 लाख, टीडी टीम सदस्य 4. सोंडी बुटा (20 वर्ष) – इनामी 2 लाख, एरिया कमेटी सदस्य 5. तेलाम कोसा (19 वर्ष) – इनामी 2 लाख, एसजेडसीएम सदस्य 6. जोड़ी हुर्री (29 वर्ष) – इनामी 2 लाख, एओबी पार्टी सदस्य 7. माड़वी माइका (18 वर्ष) – ग्राम केरलापाल, चेतना मंच सदस्य 8. रवि भीमा (45 वर्ष) – जीआरजी मिलिशिया सदस्य 9. सोंडी देवा (30 वर्ष) – नागाराम, आरसीडीएफसीएमएस सदस्य 10. सोंडी हिडमा (32 वर्ष) – ग्राम टोकनपल्ली, संघम सदस्य 11. हेमला हिडमा (40 वर्ष) – ग्राम टोकनपल्ली, संघम सदस्य 12. माड़वी सन्ना (42 वर्ष) – ग्राम टोकनपल्ली, संघम सदस्य 13. पदाम दारा (31 वर्ष) – ग्राम टोकनपल्ली, संघम सदस्य 14. सोंडी भीमा (32 वर्ष) – ग्राम टोकनपल्ली, संघम सदस्य 15. जुमने बेटू (23 वर्ष) – ग्राम गोंडपल्ली, डीएफएमएस सदस्य 16. लेकाम लखमू (30 वर्ष) – ग्राम गोंडपल्ली, डीएफएमएस सदस्य
सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि यह आत्मसमर्पण सरकार की नीतियों और फोर्स की रणनीति की सफलता को दर्शाता है। इन सभी नक्सलियों का लंबे समय से विभिन्न नक्सली घटनाओं में सक्रिय भूमिका रही है। अब ये सभी मुख्यधारा में लौटकर शांतिपूर्ण जीवन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यह आत्मसमर्पण न केवल क्षेत्र में बढ़ती शांति की उम्मीद को मजबूती देता है, बल्कि बाकी सक्रिय नक्सलियों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।
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