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कविता ! चलो हमारे गांव मुड़पार

मुड़पार गांव की ओर चलते हैं , जहां कुसुम पाण्डेय अम्माजी की प्रेम भरी छांव हैं ।

चांपा नगर की भाग-दौड़ से कई किलोमीटर दूर, मुड़पार की शांति और प्रकृति की गोद में बसने का आनंद ही अलग हैं ।।

बम्हनीडीह-सारागांव मार्ग के बीचों-बीच स्थित, मुड़पार गांव की अपनी एक अलग ही पहचान हैं ।

जहां तालाब के किनारे अष्टभुजी मंदिर और पीपल के पेड़ की छांव में बैठकर, जीवन की सारी थकान दूर हो जाती हैं।

कुसुम और कृष्ण पाण्डेय पापा-अम्माजी के पास बैठकर, जीवन के अनुभवों को साझा करने का आनंद ही अलग हैं।।

कुसुम अम्मा की प्रेम भरी बातें और स्नेहिल स्पर्श, हृदय को छू लेने वाली होती हैं।

चलो संगी मुड़पार गांव की ओर चलते हैं, जहां प्रेम, शांति और प्रकृति के साथ अम्मा की गोद में हम बस सकते हैं।।

चांपा नगर की भाग-दौड़ से बहुत दूर, मुड़पार की शांति और प्रेम में हम खो सकते हैं ।।

शशिभूषण सोनी पूर्व सहायक प्राध्यापक ( वाणिज्य ) शासकीय मयूरध्वज महादानी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय , चांपा

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