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साल की शुरूआत अपने लक्ष्य भविष्य निर्माण, सजगता के साथ शिक्षा के लिए समय दे युवा वर्ग


चैतमा । यह एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, अतीत पर चिंतन करने का एक पल और भविष्य की ओर देखने का मौका । दुनिया भर में विविध परंपराओं के साथ मनाया जाने वाला यह दिन, आशा, नवीनीकरण और नए अवसरों के साझा विषय के कारण यह अवसर दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। युवा के प्रेणा श्रोत स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था। मुझे अपने राष्ट्र पर गर्व है। उनका युवाओं के लिए सुप्रसिद्ध आह्वान था कि उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए और तुम्हें अंदर से बाहर तक आगे बढ़ना है। कोई तुम्हें सिखा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता। डॉ॰ भीमराव अंबेडकर के सामाजिक विचारों से युवाओं को प्रेणा लेने की जरूरत है। डॉ॰ अंबेडकर का मानना था कि सामाजिक न्याय का मतलब है सभी लोगों की स्वतंत्रता, समानता, और भाईचारा के साथ उन्होंने एक ऐसे समाज की वकालत की, जहां किसी व्यक्ति का दर्जा उसकी योग्यता और उपलब्धियों पर निर्भर करे। उन्होंने दलितों, पिछड़ों, और अस्पृश्यों के ख़िलाफ़ सदियों से हो रहे अन्याय का विरोध किया.....

उन्होंने 'छुआछूत' को असंवैधानिक ठहराया. 

उन्होंने स्त्री-पुरुष समानता का व्यापक समर्थन किया. 

उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले विधिमंत्री के तौर पर 'हिंदू कोड बिल' संसद में पेश किया था. 

उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को न्यायसंगत बनाने की कोशिश की. 

उन्होंने शिक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता, समुदाय स्वास्थ्य, और आवासीय सुविधाओं को बुनियादी सुविधाओं के रूप में देखा।मेरे विचार से 2024 अपनी चुनौतियों और जीतों को लेकर आया, जिसने हमें हमारे भीतर मौजूद लचीलेपन की याद दिलाई। इसने हमें एकता की ताकत, उम्मीद की शक्ति और जो वास्तव में मायने रखता है उसे संजोने के महत्व को दिखाया – हमारा स्वास्थ्य, रिश्ते और सपने। अब जब हम 2025 में कदम रख रहे हैं, तो हमारे सामने एक खाली कैनवास है, जो हमारी आकांक्षाओं को चित्रित करने के लिए हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। आइए इस वर्ष को महत्वाकांक्षा, साहस और करुणा का समय बनाएं। चाहे वह व्यक्तिगत लक्ष्यों का पीछा करना हो, मजबूत संबंधों को बढ़ावा देना हो, या दूसरों की भलाई में योगदान देना हो, आइए बदलाव लाने के हर अवसर का लाभ उठाएं।

गुरू घासीदास बाबा जी विचार समाज में फैली कुरीतियों को रोकने के लिए लोगों को प्रेरित किया. उन्होंने समाज में फैली आर्थिक विषमता, शोषण, जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता को खत्म करने का संदेश दिया. 

उन्होंने 'मनखे मनखे एक समान' का संदेश दिया. 

उन्होंने सत्य के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी. 

उन्होंने भक्ति का एक नया पंथ प्रस्तुत किया, जिसे सतनाम पंथ कहा गया. 

उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. 

उन्होंने सतनाम पर विश्वास करने, मूर्ति पूजा न करने, जीव हत्या न करने, मांसाहार न करने, चोरी-जुआ से दूर रहने, नशा न करने, जाति-पाति के प्रपंच में न पड़ने, और व्यभिचार न करने की शिक्षा दी. 

उन्होंने हर मनुष्य और पशु के प्रति दया और दया भाव रखने की शिक्षा दी. 

उनकी शिक्षाओं को अपनाकर व्यक्ति और समाज दोनों उन्नति कर सकते हैं. उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं. 

इस नए साल में, आइए एक-दूसरे का समर्थन करने, छोटी-छोटी जीत का भी जश्न मनाने और आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना करने का वादा करें। याद रखें, हर दिन हमारी कहानी लिखने, आगे बढ़ने और पहले से ज़्यादा चमकने का एक नया मौका है। शांति, समृद्धि और असीम संभावनाओं से भरा एक साल आपके लिए है। आपको और आपके प्रियजनों को एक खुशहाल, स्वस्थ और सफल 2025 की शुभकामनाएं  नया साल हार्दिक बधाई।

वीरेंद्र कुमार बंजारे

ब्याख्याता जीवविज्ञान

श्रेष्ठ कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना

स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय चैतमा, जिला कोरबा छत्तीसगढ़

Mob-9009622391

Vkbanjarey6279@gmail.com

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