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संत कबीर जयंती मनाई गई

सक्ती । भदरी चौक, फगुरम । सतनाम कुटीर में संत कबीर जयंती समारोह श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक सौहार्द के वातावरण में सादगी व गरिमा के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत संत कबीर साहेब जी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से की गई। बाबा खड़गदास व वैद्यराज रोहनलाल भारद्वाज के अगुवाई में माताओं व संत समाज द्वारा आरती वंदन किया गया। समारोह में वक्ताओं ने संत कबीर साहेब के जीवन-दर्शन, समाज सुधार, सत्य-भक्ति और जातिविहीन समाज की उनकी कल्पना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संत कबीर साहेब ने अपने दोहों और वाणियों के माध्यम से न केवल धार्मिक पाखंड और अंधविश्वास पर करारा प्रहार किया बल्कि जात-पांत और धर्म के नाम पर फैलाए गए भेदभाव को भी खुली चुनौती दी। कबीर का यह संदेश, "जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान" आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। उन्होंने जीवन भर जातिवाद, रूढ़ियों और धर्म के नाम पर होने वाले विभाजन के खिलाफ आवाज बुलंद की। उनका मानना था कि ईश्वर एक है और उसे प्रेम, करुणा और सेवा से पाया जा सकता है, न कि बाहरी आडंबरों से। कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं ने संत कबीर जी को नमन करते हुए उनके विचारों को आत्मसात करने और सामाजिक समरसता का संदेश आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

      अंत में उपस्थितजनों को प्रसाद वितरण कर कार्यक्रम का समापन किया गया।

      इस अवसर पर सतनाम कुटीर समिति के सदस्य, पदाधिकारी, ग्रामीणजन, महिला श्रद्धालु व सामाजिक प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। समाज के गणमान्य जनों की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया।

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